[सम्पादकीय टिप्पणी: रेन ट्री फाउंडेशन उत्तरी थाईलैंड में एक छोटी आधारिक संस्था है, जो अल्पसुविधा प्राप्त बच्चों और समुदायों को समर्पित है। अनाथालय, लालन-पालन के घर तथा कई लघु उद्यम चलाने के अलावा, रेन ट्री का आमना सामना मूल ज़रूरतों जैसे कि साफ़ जल उपलब्ध होना,और उनको मोहय्या कराने के लिए तरीके ढूंढना।]
शुरूआती प्रयास
जब हम पानी को पंप करने के टिकाऊ समाधान और उनके विकल्प ढूंढ़ने लगे तो हमारी टोली पनचक्की की कलपना कर इस उपाय पर विचारने लगी की किस प्रकार से नीचे उन्नयन में पानी की आपूर्ति की जाए। शुरुआत में हमने Sling Pump
एक स्लिंग पंप का परिक्षण किया, पर कई नमूनों को जांचने के बाद इस को रद्द कर दिया। स्वयं करने के तरीकों में कठिनाई, मूल्य, विशेष अंश, और आखिर में क्षमता को लेकर चुनौतियाँ इसमें शामिल थीं।
यह जानकर कि हर पंप समाधान के अपने स्थान व लागू करने के तरीके हैं हमने एक नया रास्ता चुना और पन चक्की की ओर देखना शुरू किया। क्योंकि कई सारे डिज़ाइन उपलब्ध थे हमने अपने लक्ष्य परिभाषित किये, जिसमें वहन करने की क्षमता, आसानी से अस्सेम्ब्ल करना, कम रखरखाव की आवश्यकता, और जल्दी से इसे स्थापित कर लेना ताकि लोगों को बेहटा जल मिल सके हों। कुल मिलाकर हमारा उद्देश्य था कि सिंचाई के लिए किसानों को नदी या जल की धरा के नज़दीक रखना ताकि उन्हें बिजली या तेल से चलने वाले पंप की आवश्यकता न हो और न ही ज़्यादा मज़दूरों की ज़रुरत पड़े।
हमें इसे शुरुआत से आरम्भ न करना पड़े इसलिए हमने स्थानीय हार्डवेयर की दूकान से एक छोटा १ इंच का पिस्टन पंप लिया जो करीब २,४०० थाई बाहट (७५ यू एस डॉलर) का था, इसके साथ ही अतिरिक्त सील, बैंड और पिस्टन भी २६० थाई बाहट (८ यू एस डॉलर) में लिया।
अगला कदम था एक ऐसे पहिये का डिज़ाइन बनाना जो कि केवल एक छोटी धारा से पिस्टन पंप को चला सकता हो। हमारा पहला आद्यरूप एक यूँही बेकार पड़े हुए पुराने साइकिल के पहिये से बनाया गया, यह प्रवहणी १४ बाल्टियों से जुड़ा था (चित्र १)। इसके निकास के स्थान पर एक पानी का पाइप लगा था, और प्रवेश के स्थान को सीधा धारा में लगा दिया गया था। आरम्भ में इस ढांचे से हवा पंप में जाती थी, तो हमने एक छन्नी और एक छेदों वाली बाल्टी का इस्तेमाल किया की पानी का स्तर स्थिर रहे (चित्र १)। धारा के प्रवाह का दर इस समय लगभग ०.६ से ०. ८ मी/से था,न तो बहुत धीमा और न ही बहुत तेज़। पंप से पानी की टंकी की ऊंचाई लगभग ६ मी थी, और दूरी लगभग ५० मी। हमने मोटा मोटा करीब ३ लीटर प्रति मिनट के बहाव का दर नांपा, जो की काफी था इस बात को ध्यान में रखते हुए कि यह पंप दिन में २४ घंटे (~ ४,५००) चलेगा। कीमत को देखें तो, निश्चय ही यह सामग्री के उपलब्ध होने पर करता, पर हमने इसकी कीमत ४,००० थाई बाहट (१२५ यू एस डॉलर) आंकी।
डिज़ाइन को बेहत
जबकि हमारा मूल डिज़ाइन ठीक से कार्य कर रहा था, हमें लगा कि हम बाल्टियों को जो पहिया चला रहीं थी बेहतर कर सकतें हैं। हमने निर्णय किया की पहिये को एक मामूली पाइप के रील से से जो १/४ इंच के केमिकल पाइप के लिए इस्तेमाल किया जाता है से सुधारें। इस रील की कीमत ५०० थाई बाहट (१५ यू एस डॉलर) थी और इसमें धारुक, एक आधारभूत ढांचा और घुमाने वाला हत्था सभी पहले से था। इसलिए कि पहिया पानी के बहाव से घूमे, हमने किनारों के बीच में स्टील की प्लेटें लगा दीं (लगभग २ एम एम मोटी) जिस पर की पाइप को बैठा दिया जाए (चित्र ४)।
हमने एक १/२ इंच का पी ई (पॉलिथीन) पाइप पंप से जोड़ दिया और उससे हम पानी के स्रोत से १०० मी की दूरी तक काजू के पेड़ को पानी दे सके। ऊंचाई पहले के सामान ही थी (~ ६ एम ऊंचाई) और पानी के बहाव की दर भी उतनी ही थी। जल्द ही मालूम पड़ गया की आवश्यक दूरी पंप के लिए बहुत ज़्यादा थी और वो पिस्टन पंप के ऊपर ज़ोर दे रही थी जिसकी वजह से पंप रूक रहा था। पाइप लाइन को ऊंचा करने से भी यही हो रहा था। क्योंकि धारा के बहाव के ऊपर तो हमारा नियंत्रण नहीं था, कार्य की दर को बेहतर बनाने के हमारे पास ज़्यादा उपाय नहीं थे, फिर भी हम ज़रुरत के हिसाब से काफी पानी अपने पेड़ों तक पहुंचा सके। कुल मिलाकर यह नमूना सस्ता पड़ा और क्योंकि यह बड़ा था हम लम्बे पाइप लगा सके जिससे पानी लम्बी ऊंचाई तक पहुँचाया जा सका।
अतिरिक्त अवलोकन
यह बताना आवश्यक है कि पनचक्की और पंप की पानी में की स्तिथि एक बड़ी चुनौती थी जिस के ऊपर काबू पाना ज़रूरी था। यह चुनौतीपूर्ण इसलिए भी था कि पंप को उसके डिज़ाइन की वजह से पानी में पूरी तरह से डुबाया नहीं जा सकता और पैडलों को गहरे पानी में रखना ज़रूरी था की वो ठीक से घूम सकें। कुछ अलग तरीके जांच करके आखिरकर हमने सही संतुलन पा ही लिया।
साथ ही, क्योंकि हमारी धाराएं बहुत तेज़ नहीं बहती थीं, हमें पानी को प्रवाह देने के लिए, एक छोटी नहर बनानी पड़ी। इससे हमें लगातार बहाव दर बनाये रखने में और पंप चलाने के लिए एक सुरक्षित स्थान बनाने में मदद मिली (चित्र ३)। आखिर हमने पाया की इन क्षेत्रों में जहाँ सिंचाई के पानी की आवश्यकता है इन पंप को एक व्यक्ति द्वारा आसानी से रखा जा सकता है, जिससे यह इस्तेमाल में बहुत ही आसान हो जाता है।
एक अलग दृष्टिकोण लेना
क्योंकि हम पहले ही पिस्टन पंप खरीद चुके थे हम एक प्लग ढूंढ रहे थे जिससे इसे चलाया जा सके। इस बार हमने एक तैरते हुए बेड़े को इस्तेमाल करने की सोची (चित्र ५)। हमारे इस प्रस्ताव की कीमत काफी ज़्यादा थी क्योंकि बड़ा स्थानीय इलाकों में उपलब्ध नहीं था। क्योंकि चिंगड़ी की खेती इन इलाकों में ज़्यादातर नहीं की जाती है, बेड़े को देश के दक्षिणी भाग से जहाज़ से लाया जाना था। बेड़े, ढाँचे, पहिये और धारुक की कीमत १२,००० थाई बाहट (३७५ यू एस डॉलर) थी।
प्रणाली को अनुकूल बनाने के लिए, हमने पैडल के एक्सेल पर दांता लगाकर उसे एक बड़े दांते से जोड़ा की एक्सेल पर बेल्ट लगाया जा सके। अगर मुझे ठीक से याद है तो हमने एक ५० एम एम का दांता पंप के दस्ते पर और १५० एम एम व्यास का दांता बड़े के एक्सेल पर लगाया था।
इस प्रणाली को एक दुसरे स्थल पर, एक अलग प्रवाह पर, बरसातों के दौरान जांचा गया। हमने अनुमान लगाया की इस स्थल पर प्रवाह कम से कम १.२ - १.५ मी/सेक था. हमने जो बड़ी चुनौती का सामना किया वो यह था की तैरते हुए बेड़े को लगाना कि वो धारा के बीच में ही रहे। दुर्भाग्य से , नदी के किनारे से एक स्टील की तार लगाने पर भी बेड़ा हिल रहा था और पानी के बहाव से बहार जा रहा था। मूल झींगा पकड़ने वाले पैडल इस्तेमाल करने की दूसरी नकारात्मक बात यह थी कि उसमें हवा जाने के लिए छेद थे जो पानी के प्रवाह की पूरी शक्ति का लाभ उठाने नहीं दे रहे थे। और आखिर में हमें बड़े को अपने स्तन में रखने में कठिनाई हो रही थी, पानी के तेज़ बहाव से वो सामने की तरफ से नीचे डूब रहा था।
निष्कर्ष
हमारे औसत दर्जे के प्रयास के बावजूद, मैं विशवास रखता हूँ कि हम उन किसानों की सिंचाई की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए किफायती समाधान ढूंढ सकते हैं जो बहते पानी के नज़दीक हैं।